Wednesday, October 1, 2008

165 वां दिन

"एक वृक्ष अपने फल के द्वारा जाना जाता है, और इंसान अपने कर्मों से"
"दो विचार है जो कि आपके जीवन का रुख तय करते हैं - एक तो यह कि आप अपने आप के बारे में क्या सोचते हैं जब आपके पास सब कुछ नहीं है। दूसरा यह कि आप दूसरों के बारे में क्या सोचते हैं जब आपके पास सब कुछ है।"
"दो तरीके है शिखर पर पहुँचने के, अपने क्षेत्र में अव्वल आने के - एक, इतना परिश्रम करो जितना कोई ओर न कर सके। दूसरा ये कि आप सबसे पहले करो, कोई ओर करे उससे पहले।
"जिसे आप जानते हैं कि ये कभी हो नहीं सकता, तो उस का इंतज़ार करना कठिन है। लेकिन, उस से भी कठिन है, उसे त्याग देना जिसे आप बहुत चाहते हैं।"
"सम्मान माँगना, भीख माँगने की तरह है! इसके बजाय अगर आप सभी को सम्मान देते हैं, वे स्वतः ही आप को भी सम्मान देंगे।
"ख़ुद से प्यार करो। अपनी समझ के साथ के छेड़खानी करो। सपनों के साथ रोमांस करो। सादगी के साथ सगाई करो। सच्चाई से शादी करो। अहं से तलाक लो। फिर वो एक अच्छी जिंदगी है! "
"जब तक आप बोलते नहीं हैं, शब्द आपके काबू में रह्ते हैं; लेकिन बोलने के बाद आप उनके काबू में रहते हैं।"
"हवाएं और लहरें हमेशा सबसे योग्य नाविक के पक्ष में रहती हैं."
"मंज़िल तक पहुँचने का रास्ता कभी भी एक सीधी रेखा में नहीं होता है, हर मोड़ से सामना करना सीखो, फिर तुम्हे हर परिणाम में कुछ न कुछ मूल्यवान मिलेगा."
"कामयाब लोग अपने आप को प्रदर्शित नहीं करते हैं, उनकी उपलब्धियाँ ही उनकी प्रदर्शनी है।"
"जीवन के इस सफ़र में, जब भगवान आपके रास्ते में सुइ और पिन डाल दे, तो उनसे बच कर न निकलें। उन्हें इकट्ठा करें। उनका उद्धेश्य आपको मजबूत बनाना था। "
"यदि सारी दुनिया आप के खिलाफ हैं, आप के पीछे हैं, और आप अकेले हैं, तो आप क्या करोगे? बस पलट जाइए, और अब सारी दुनिया आपके नेतृत्व में होगी। "
"कभी भी, अपना चरित्र एक बगीचे की तरह मत बनाओ, जहाँ कोई भी चल फिर सकें। एक आकाश की तरह बनाओ जहाँ तक पहुँचने के लिए लोगो को उठना पड़े। ऊँचा निशाना लगाओ। ऊँचा पहुँचो।"
"आप कम देते हैं, जब आप अपनी संपत्ति देते हैं। आप सचमुच तब देते हैं जब आप अपने आप को समर्पित कर देते हैं।"
"कभी भी गुस्से में आलोचना न करे बल्कि आलोचना ऐसी करे जिससे कि सुधार हो सके"

ये उक्तियाँ मुझे मोबाईल पर मिली और मुझे लगा कि मैं इन्हें अपने विस्तृत परिवार के साथ बांटू। मेरा मोबाईल बहुत सी अलग चीजे आकर्षित करता है, न कि सिर्फ सुंदर फोटो।

लेकिन एक परेशान करने वाली खबर भी मेरे मोबाइल पर आई - मौत की धमकी। लिखा था:

Mhanayk. Mare jaoge.only 3. de jinda.rhane ki kimt abhitabh.ji.25.cro.’

महानायक मारे जाओगे। सिर्फ़ 3 दिन ज़िंदा रहने की कीमत अमिताभ जी 25 करोड़।

इसे पढ़ता अनुवादित - महानायक, वो शब्द जो कि एक महान अभिनेता के वर्णन करने के लिए प्रयोग किया जाता है, आप को मार डाला जाएगा. 3 दिन ज़िंदा रहने की कीमत 25 करोड़ रुपए।

जब मैं लंदन में था तब ये धमकी मिली थी। लेकिन चूंकि मैं उसी दिन यात्रा कर रहा था, मैंने अपने ऑफ़िस से कहा कि वे पुलिस को सूचित कर दे।


जांच तत्काल शुरू हुई और उस व्यक्ति को खोज लिया गया और पुलिस की जानकारी के मुताबिक कार्यवाही शुरू हो गई है। इस मामले के प्रभारी पुलिस अधिकारी ने मुझसे कहा कि वह व्यक्ति राजस्थान के एक शहर से है। उसका दावा है कि वो अभिषेक का हमशकल है। राजस्थान में 'द्रोण' की शूटिंग के दौरान वो सेट के आसपास आता था। उसका दावा है कि 'द्रोण' फ़िल्म में उसने एक छोटी भूमिका निभाई है। मैंने पता लगाया तो ये बात झूठ निकली। न तो अभिषेक और न ही गोल्डी (फ़िल्म निर्देशक) उससे मिले हैं या उसके साथ कभी किसी का तरह का संपर्क किया है। और वह यह भी कहता है कि उसका हमारे परिवार के साथ सम्पर्क है। यह कथन पूरी तरह से गलत है। हम उसे कभी नहीं मिले हैं। उसका दावा है कि जब उसने मुझे जन्मदिन की शुभकामना भेजी थी तब उसे मेरा जवाब मिला था। मैं कोशिश करता हूँ कि प्रशंसको की शुभकामनाओं की चिट्ठीयों का जवाब दूँ। पुलिस ने बताया कि वो मुंबई आया था अभिषेक और ऐश्वर्य की शादी के वक़्त और यह कि एक नामी-गिरामी अखबार ने कथित तौर पर उसे पैसा दे कर उससे कहा कि वो अभिषेक का ढोंग कर के ऐश्वर्य के निवास के प्रवेश द्वार का पता लगाए, शादी से ठीक पहले। वह घर के परिसर के अंदर तक पहुँचने में सफल हो गया और उसके फ्लैट तक भी चला गया, लेकिन उसका दुर्भाग्य और ऐश्वर्य का सौभाग्य कि वो गलत फ़्लैट था। और वो पकड़ा गया। इस पूरी घटना को उस नामी अखबार ने और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने रिपोर्ट किया था।

मुझे इस के बारे में आगे कोई और जानकारी नहीं है।

मैं महाराष्ट्र पुलिस की सराहना करता हूँ कि इतनी तेजी से वे इस समस्या की तह तक पहुँचे और उपयुक्त कार्रवाई की।

ऐसी जिंदगी है।

हमेशा की तरह सबको मेरा प्यार --

अमिताभ बच्चन
http://blogs.bigadda.com/ab/2008/09/30/day-165/

3 comments:

Anonymous said...

अमित अण्कल!
आप शान हैँ मान हैँ देश का सम्मान हैँ!
सन1990ई0 की बात है,आप से काफी प्रभावित रहा हूँ.उस वक्त मै कक्षा इण्टर का छात्र था.आपको एक पत्र भेजा था जिसमेँ यह पंक्तियाँ लिखी थीँ कि
आपके आसमाँ का ही सितारा हूँमैँ विश्वास है कि चमकूँगा आप की रोशनी मेँ .
मैँ 200कहानियाँ लिख चुका हुँ
कुछ आपको देना चाहता हूँ .BLOGमेँ
'कलि औरतेँ 'कहानी देखेँ.BLOG
www.ashokbindu.blogspot.com

Anonymous said...

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आप शान हैँ मान हैँ देश का सम्मान हैँ!
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अमित अण्कल!
आप शान हैँ मान हैँ देश का सम्मान हैँ!
सन1990ई0 की बात है,आप से काफी प्रभावित रहा हूँ.उस वक्त मै कक्षा इण्टर का छात्र था.आपको एक पत्र भेजा था जिसमेँ यह पंक्तियाँ लिखी थीँ कि
आपके आसमाँ का ही सितारा हूँमैँ विश्वास है कि चमकूँगा आप की रोशनी मेँ .
मैँ 200कहानियाँ लिख चुका हुँ
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