Sunday, October 5, 2008

170 वां दिन

प्रतीक्षा, मुंबई अक्टूबर 5, 2008 10:56 pm

आज 169 वें दिन की सिर्फ़ 100 टिप्पणियों का जवाब दे पाया और बुरा लग रहा है कि बाकी को नहीं दे पाया। लेकिन मैं दूँगा समय मिलते ही।

तस्वीरें। एक संगीत कार्यक्रम की मेरे मोबाइल से, बहुत दूर से, ली गई, लेकिन कुछ अंदाज़ा तो दे ही देती है कि वहाँ क्या हो रहा था। दूसरी दो तस्वीरें मेरी शूटिंग से हैं। 'तीन पत्ती' फ़िल्म के एक शॉट के विडियो असिस्ट की तस्वीरें।

पहले दिन की शूटिंग में बहुत गड़बड़ और अनिश्चितता और परेशानी होती है। पता ही नहीं चलता है कि चरित्र को कैसा रंग दिया जाए, यूनिट नया होता है और एक भयानक आत्म चेतना का अहसास। उम्मीद है कि वक़्त के साथ साथ सब ठीक हो जाएगा।

बच्चें मेरे साथ मुंबई आ गए हैं। दशहरा-दीवाली की वजह से लम्बी छुट्टी है उनकी। कितनी खुशी होती है उन्हें घर में उछल-कूद करते हुए देखकर। जब वे आते हैं तो दीवाली, दशहरा, होली सब एक साथ ही मना लिए जाते हैं। स्टाफ भी खुश रहता है, उनके कमरे साफ़ किए जाते हैं और उनकी सारी ज़रुरते पूरी की जाती हैं। बिस्तर बड़े करीने से बनाए जाते हैं, उनके खेल आदि के सामान अपनी जगह पर रख दिए जाते हैं। और जो भोजन उन्हें पसंद है वो खास तौर से रसोई में बनता है। अचानक पूरा घर सक्रिय हो जाता है और एक नई शक्ति का संचार हो जाता है। बच्चें एक अपने अनूठी अंदाज़ में कितनी खुशी ले आते है अपने साथ।

आज के बच्चे तेजी से बोलते हैं और उतनी ही तेजी से सोचते भी है। मुझे उनकी बराबरी करना मुश्किल लगता है। और वीडियो गेम्स?? वे तो इसके बादशाह हैं। हर खेल में मैं उनसे हारा जिस जिस भी खेल में उन्होंने मुझे चुनौति दी। और एक बार वे शुरु हो जाए फिर तो एक डायनासौर ही हटा सकता है उन्हें विडियो गेम्स से।

बच्चों का और श्वेता का आना अच्छा लग रहा है। ऐश्वर्या दिल्ली से गोवा चली गई शूटिंग के लिए। अभिषेक और ऐश्वर्या थोड़े दिन बाद मणिरत्नम की फिल्म के लिए चले जाएगे एक लम्बे अरसे के लिए। बच्चें दिल्ली चले जाएगे स्कूल के लिए। जया और मैं इस कमरे से उस कमरे अकेले घूमते रहेंगे, उनकी याद करते हुए।

बच्चें। जितना हम उन्हें चाहते हैं, उतना ही जीवन उन्हें हमसे दूर ले जाता है।

मेरा प्यार,

अमिताभ बच्चन
http://blogs.bigadda.com/ab/2008/10/05/mobile-pix-2/

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