Friday, October 3, 2008

167 वां दिन

सर्वशक्तिमान
आपको विशेष आशीर्वाद
प्रदान करे
इस ईद के पर्व पर,
और आप के चारों ओर
प्यार, शांति, प्रसन्नता और खुशी रहे
आज और हमेशा

ईद मुबारक!

ये नवरात्रि आपको 9 सौगाते दें -

1 शांति

2 शक्ति

3 संयम

4 सम्मान

5 सफलता

6 सरलता

7 समृद्धि

8 संस्कार

9 स्वास्थ्य

शुभ नवरात्रि !!

प्रतीक्षा, मुंबई 2 अक्तूबर, 2008 11:55 pm

'प्रार्थना भगवान का मन बदलने का प्रयास नहीं है, बल्कि एक ऐसा प्रयास जिससे कि भगवान हमारे मन बदल दे"

'आप को अपने गुस्से के लिए दंडित नहीं किया जाएगा; आपको आपका गुस्सा ही दंड देगा.'

'ईमानदारी हमें कभी धोखा नहीं देती है, वह हमें हमेशा देती जाती है.'

... .. और प्रेरणादायक उद्धरण/उक्तियाँ मेरे दैनिक जीवन में और मोबाइल पर मिलती रहती है और मेरे द्वारा आप तक और करोड़ों और लोग जो इस कम्प्यूटर की दुनिया में रहते हैं। फिल्म उद्योग के कर्मचारी संघ के आह्वान पर हड़ताल हो गई है और सारा काम ठप्प है। कोई शूटिंग नहीं - न अंदर न बाहर। इसलिए हम घर पर हैं और परिवार के साथ ये अनमोल क्षण बिता रहे हैं और इंतज़ार कर रहे हैं उन एसोसिएशन का जो हमें अगले कदम की दिशा बदलाएँगे।

मैंने कहा था कि मैं 'द्रोण' पर अपनी राय दूँगा, लेकिन हमने इसे देखा ही नहीं जिस दिन हम इसे देखने वाले थे, और जब देखी, तब तक दूसरे लोगो ने भी देख ली थी, और अपनी राय दे चुके थे, तो मेरा कुछ कहना या टिप्पणी करना मुझे व्यर्थ लगा। हालांकि मैं इतना ज़रुर कहूँगा कि फिल्म की प्रस्तुति और अवधारणा में एक भव्यता है। दिखने में इतनी सुंदर कि इसके जैसी फ़िल्म आज तक भारतीय सिनेमा में नहीं देखी गई। जितने भी लोग इस फ़िल्म से जुड़े हैं,s अब ने खूब मेहनत की और किसी ने कोई कसर नहीं छोड़ी। वर्तमान से कल्पना की दुनिया का सफ़र सहज और सरल तरीके से किया गया, यह बात मेरे एक पत्रकार मित्र ने कही। यह एक बहादुर और साहसी प्रयास है गुणवत्ता दिखाने का और कुछ अलग कर गुज़रने का, सबसे पहले करने का। हमारे जीवन में हम कितनी बार कह सकते हैं कि हम सबसे पहले थे जिन्होंने कुछ नया किया, ये कहा मेरे एक वरिष्ठ सहयोगी ने। इसके बाद सब व्यापार है। और मैं उसका ईमानदारी से सामना करने में हमेशा असफ़ल रहा।

और इस तरह एक और दिन आ गया। नए क्षितिज की तलाश में। उन चुनौतियों का सामना करने, जो अभिनव हैं, सृजनात्मक हैं और नए संघर्ष से भरपूर। हमें सर्वशक्तिमान का आभारी होना चाहिए कि उसने हमें उन परिस्थितियों में खड़ा कर दिया जहाँ हमें यह सब करने के लिए एक अवसर मिला है। क्यूंकि इसके बिना ज़िदगी बहतुत मनहूस होगी।

बेहतर तो यही है कि हम एक घोड़े पर सवार है, गिरे तो उठ कर फिर सवार हो जाए, बजाय इसके कि कभी घोड़े पर चढ़ ही न सके।

बहुत प्यार और स्नेह और शुभकामनाएं --

अमिताभ बच्चन
http://blogs.bigadda.com/ab/2008/10/01/eid-images/#more-462

No comments: