Saturday, September 27, 2008

161 वां दिन

ग्रांड ओपेरा थियेटर, तेजस्वी और भव्य और अलंकृत और ऐश्वर्य से भरपूर। क्या महिमा है और यह एक उच्च कोटि की रचना है, इसका निर्माण प्रशंसनीय है।

जया और मैं ऑर्केस्ट्रा ज़ोन में बैठे थे इस आधुनिक आधुनिक बैले को देखने के लिए - राबिन्स (पश्चिम और अमरीका के ऐतिहासिक नृत्य-नाटक के प्रख्यात नृत्य-निर्देशक) की याद में और उन्हीं की पद्धति में नृत्य-नाटक, - एक अलग, कलात्मक, विनोदी और काव्यात्मक अभिव्यक्ति था - सब एक में लपेटा हुआ। लेकिन इस स्थान की खूबसूरती बस भी आधुनिक बैले के लिए कुछ भारी पड़ रही थी। पारम्परिक नृत्य-नाटिका के लिए यह स्थान ठीक रहेगा।

आप में से कई लोगों ने हम दोनों के साथ मिलकर के फ़ोटो खींचने की कामना की थी। लीजिए, हम आ गए, थिएटर से बाहर निकल कर, ठंडी रात में। किसी तरह से कुछ बातूनी महिलाओं से बचकर, जो कि हमसे तीन कतार पीछे बैठी थी। गला फ़ाड़-फ़ाड़ कर, मेरी तरफ़ इशारा कर के, बार बार कह रही थी - 'वह बहुत बड़ा अभिनेता है, बहुत बड़ा।' एक सुखद सम्मानजनक मुस्कान के साथ। मैं थोड़ा शर्माया। इसलिए जल्दी से पर्शिंग से सलाद लेने के लिए गायब हो गया। पर्शिंगं रेस्टोरेंट का नाम एक प्रसिद्ध अमेरिकी जनरल के नाम पर रखा गया है। जिन्होंने पेरिस को हिटलर से बचाया था।

थोड़ा चिंताग्रस्त लग रहा हूँ. लेकिन इसकी सजावट और संगीत में बहुत अपनापन था।

मेरा प्यार ही प्यार, पहले की तरह। . और मैं वापस प्रतीक्षा में, मुंबई सितम्बर 27, 2008, 2:53am पर

अमिताभ बच्चन
http://blogs.bigadda.com/ab/2008/09/27/paris-pix-4/#more-453

1 comment:

ambrish kumar said...

bhasha bahut rochak hai.kya hum ise apni website per de sakte hai;
savita verma
editor
www.janadesh.in