शूटिंग स्थल पर, मुंबई 8 अक्टूबर, 2008 / 7 अक्टूबर, 2008 9:00pm के लिए लिखा गया
हाँ … तो हुआ ये कि 'सर्वर' के 'अपग्रेड' के चक्कर में मैं उनके निर्देशानुसार इस ब्लॉग का प्रयोग करने में असमर्थ रहा। लेकिन अब यह काम कर रहा है और मैं वापस आपके साथ हूँ …
'तीन पत्ती' की शूटिंग एक जीर्ण-शीर्ण अवस्था में त्याग दिए गए एक कारखाने में हो रही है, जिसके अपने फ़ायदे हैं। कोई नहीं आता है यहाँ आपसे मिलने के लिए।
काम देर रात तक चलता रहा और फिर घर पहुँचा तो वहाँ मेहमान आए हुए थे एक ज्ञानवर्धक डिनर के लिए। बहुत अच्छा वार्तालाप हुआ और मज़ाक भी। श्वेता मुखिया थी कई विषयों पर। प्राचीन इतिहास, मानव विकास, एक राष्ट्र के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाएँ, वे व्यक्तित्व जिन्होंने हमारी सोच को एक दिशा दी और उस पर हावी हुए, समकालीन (और असमकालीन) पुस्तके और लेखक। बहुत ही आनंददायी शाम। बहुत ज्ञानवर्धक और ऊर्जापूर्ण।
पर उससे पहले एक छोटा सा नमन देवी को। आज अष्टमी थी और जया और मैं पारंपरिक बंगाली परिधान पहन कर दुर्गा माँ की पूजा करने और उनसे प्रार्थना करने गए। बहुत छोटी, मधुर और भक्ति से ओतप्रोत। अच्छा लगा।
बाद में और लिखूँगा। अभी के लिए …
'शुरुआत करो उससे जो ज़रुरी है। फिर वो करो जो सम्भव है। अचानक तुम पाओगे कि जो असम्भव है उसे भी तुम कर पा रहे हो।'
सब को मेरा प्यार,
अमिताभ बच्चन
http://blogs.bigadda.com/ab/2008/10/08/day-172/
Wednesday, October 8, 2008
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